जाने क्या है शरीर में गाँठ का आयुर्वेदिक इलाज

लिपोमा के कारण और जोखिम कारक

लिपोमा (Lipoma) एक प्रकार की गांठ होती है जो शरीर की ऊपरी परत (स्किन) के नीचे स्थित होती है। वर्तमान समय में देखा जाए तो यह समस्या बहुत से लोगों में विशेष करके युवाओं में देखी जाती है। अगर आप भी इस समस्या से परेशान है तो अकेले नहीं हैं बहुत बहुत से युवाओं में यह देखने को मिल जाता है। लिपोमा एक सामान्य समस्या मानी जाती है। यह बेनाइन (गैरकैंसर) गांठ होती है, इसका मतलब है कि इससे कैंसर नहीं होता है। लिपोमा आमतौर पर यदि किसी को होता है तो गाँठ के बड़े होने या फिर विशेष अन्य स्थान पर होने के कारण है, जैसे कि बाजु, गर्दन, पीठ, या जांघ में हो तो इसका इलाज करवाया जाता है। लिपोमा की गांठें आमतौर पर मलमूत्र में कुछ बदलाव होने पर दिखाई देती हैं, जो उन्हें बार-बार हाथ लगाकर पहचानी जा सकती हैं। इसके साथ ही, ये गांठें खासतौर पर नर्व, वसा, और फाइबरस टिश्यू के बीच में विकसित होती हैं। ज्यादातर मामलों में लिपोमा एक सामान्य समस्या होती है और किसी विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, कई शोध के बाद डॉक्टर्स इसे हटाने की सलाह दी जाती है या फिर यदि यह गांठ आपको परेशानी हो रही है तो उसे निकलवाने की सलाह दी जा सकती है। आज के समय मे लिपोमा यानी गाँठ का रामबाण इलाज या चर्बी की गाँठ का इलाज उपलब्ध हो गया है। 

लिपोमा के लक्षण 

  1. छूने पर लिपोमा चिपचिपा या रबर जैसा महसूस होता है, आप इसे अपनी उंगली से इधर-उधर भी घुमा सकते हैं। लिपोमा आम तौर पर दर्दनाक नहीं होते हैं, और वे किसी खास प्रकार के लक्षण उत्पन्न नहीं करते हैं। बहुत रेयर मामले में लिपोमा से पीड़ित व्यक्ति को दर्द का अनुभव हो सकता है यदि लिपोमा नसों पर दबाव डाल रहा हो या उसमें रक्त वाहिकाएं हों तभी यह दर्द पैदा कर सकता है।
  2. यह जानना महत्वपूर्ण है कि लिपोमा कैंसर नहीं है। जब तक लिपोमा बढ़ नहीं रहा है या आपको किसी तरह से परेशान नहीं कर रहा है, तब तक इसकी जांच कराने के बाद किसी तरह के बड़ा ट्रीटमेंट कराने की कोई आवश्यकता नहीं है। आपका डॉक्टर लिपोमा की निगरानी करना खुद ही सुनिश्चित करेगा।
  3. लिपोमा शरीर पर कहीं भी बन सकते हैं, लेकिन सबसे अधिक संभावना है कि वे आपके धड़, कंधे, गर्दन और बाहों पर पाए जाएं। वे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और आम तौर पर 2 इंच से अधिक बड़े नहीं होते हैं, हालांकि कुछ इससे भी बड़े हो सकते हैं।

लिपोमा के प्रकार 

सभी लिपोमा वसा अर्थात चर्बी/ माँस के बने होते हैं। कुछ लिपोमा में रक्त वाहिकाएं या अन्य ऊतक भी होते हैं। लिपोमा के कई प्रकार होते हैं, जो इस प्रकार हैं:

एंजियोलिपोमा

इस प्रकार में वसा और रक्त वाहिकाएं होती हैं। एंजियोलिपोमा अक्सर दर्दनाक होते हैं।

साधारण लिपोमा: 

यह सबसे सामान्य प्रकार है, जिसमें सफेद वसा कोशिकाएं होती हैं। सफेद वसा कोशिकाएं ऊर्जा संग्रहित करती हैं।

फाइब्रोलीपोमा

इस प्रकार के लिपोमा में वसा और रेशेदार ऊतक होते हैं।

हाइबरनोमा:

 इस प्रकार के लिपोमा में भूरे वसा होते हैं। अधिकांश अन्य लिपोमा में सफेद वसा होते हैं। भूरे वसा कोशिकाएं गर्मी उत्पन्न करती हैं और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।

माइलोलिपोमा

इस प्रकार के लिपोमा में वसा और रक्त कोशिकाएं बनाने वाले ऊतक होते हैं।

स्पिंडल सेल लिपोमा: 

इन प्रकार के लिपोमा में वसा कोशिकाएं लंबी होती हैं।

प्लिओमॉर्फिक लिपोमा: 

इस प्रकार के लिपोमा में विभिन्न आकार और आकार की वसा कोशिकाएं होती हैं।

लिपोमा के कारण और जोखिम कारक

आपको बता दें कि, चिकित्सा विशेषज्ञ नहीं जानते कि लिपोमा का कारण क्या है, लेकिन कुछ लोग सोचते हैं कि यह फिजिकल ट्रॉमा की प्रतिक्रिया है। तो वहीं कुछ अन्य लोग सोचते हैं कि लिपोमा पहले से लगी चोट के कारण होता है।

लिपोमा के जोखिम कारक इस प्रकार से हो सकते हैं।

  1. व्यायाम की कमी: लिपोमा होने का कारण कुछ मामलों में व्यायाम की कमी के कारण हो सकता है और शारीरिक रुप से सक्रिय रहना इससे आपकी मदद कर सकता है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि लिपोमा अधिक बार निष्क्रिय लोगों में होता है।
  1. जेनेटिक: लिपोमा कई बार आनुवंशिकता के कारण भी परिवार में चलता रहता है। इसके होने का एक कारण जीन भी हो सकता है। 
  1. उम्र: वैसे तो यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है लेकिन ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि यह 40 से 60 साल के बीच के मध्यम आयु वर्ग के वयस्कों में दिखाई देने की संभावना सबसे अधिक होती है।
  1. मेडिकल कंडीशन: कुछ चिकित्सीय स्थितियाँ यदि किसी व्यक्ति में गार्डनर सिंड्रोम, एडिपोसिस डोलोरोसा, फैमिलियल मल्टीपल लिपोमाटोसिस, या मैडेलुंग रोग (ज्यादातर भारी शराब पीने वाले पुरुषों में देखा जाता है) होने पर एक या अधिक लिपोमा विकसित हो सकते हैं। 
लिपोमा का आयुर्वेदिक इलाज

लिपोमा का आयुर्वेदिक इलाज

लिपोमा एक बहुत सॉफ्ट ट्यूमर होते हैं जिनमें फैटी टिश्यू होते हैं जो अक्सर दर्द रहित होते हैं। ये त्वचा की एक आम समस्या है जिसे कॉस्मेटिक के रूप में देखा जा सकता है।

लिपोमा जैसे छोटे ट्यूमर को आयुर्वेद में ग्रंथि (गांठ) कहा जाता है। 2016 के एक केस अध्ययन के अनुसार उपचार के लिए आयुर्वेदिक सलाह में शामिल हैं:

  • हर्बल उपचार (herbal treatment)
  • इक्सिशन ऑइंटमेंट (excision ointments)

भले ही इन उपचारों का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि इसका कोई सबूत नहीं है कि वे लिपोमा का इलाज कर सकते हैं।हर्बल औषधि त्रिफला आयुर्वेद में उपयोग की जाने वाली उपचारों में से एक है, और यह निम्नलिखित सामग्रियों को जोड़ती है,

  • भारतीय करौदा
  • काली हरड़
  • बेलेरिक मायरोबालन

लिपोमा के उपचार के लिए जड़ी-बूटियां

  1. कड़वी जड़ी-बूटियां शरीर की वसा को पचाने की क्षमता को बढ़ाती हैं। चूंकि लिपोमा जमा वसा के कारण होता है, इसलिए अपने सामान्य आहार में कड़वी जड़ी-बूटियों का उपयोग करना फायदेमंद होगा। कुछ कड़वे खाद्य पदार्थ हैं येरो, वर्मवुड, जेंटियन, जैतून, बिना चीनी वाली चॉकलेट और डेंडिलियन ग्रीन्स।
  2. यह सभी जानते हैं कि चिकवीड लिपोमा का इलाज कर सकता है। बेहतर परिणाम के लिए दिन में तीन बार एक चम्मच चिकवीड का सेवन करें। इसके अतिरिक्त, आप लिपोमा पर शीर्ष रूप से चिकवीड तेल लगा सकते हैं।
  3. गुडूचि एक प्राकृतिक औषधि है जिसका सेवन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूती प्रदान करने में मदद कर सकता है।
  4. नींबू का रस आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है। यह लिपोमा को रोकने और उसका इलाज करने दोनों में मदद करता है।
  5. खादिर एक प्लांट है यह छल या खासीरा कहा जाता है और यह एक औषधि के रूप में उपयोग हो सकता है जो गांठों को कम करने में मदद कर सकती है।
  6. गुग्गुलु एक प्राकृतिक औषधि है जिसे लिपोमा के इलाज में प्रयोग किया जा सकता है। इसका आयुर्वेदिक उपयोग विषैले समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है।
  7. नियमित व्यायाम और योगासन भी लिपोमा को कम करने में मदद कर सकते हैं।

किसी भी आयुर्वेदिक इलाज को शुरू करने से पहले, कृपया एक प्रशिक्षित आयुर्वेदिक वैद्य से परामर्श करें ताकि आपकी विशिष्ट स्थिति का ठीक से मूल्यांकन किया जा सके और सही उपचार प्रदान किया जा सके।

निष्कर्ष

लाखों लोग लिपोमा के साथ जीते हैं। ये दरनाक और देखने में खराब लग सकते हैं, लेकिन आमतौर पर ये कोई गंभीर समस्या नहीं पैदा करते। ज्यादातर लिपोमा का इलाज नहीं करना पड़ता। लेकिन अगर लिपोमा दर्द पैदा कर रहा हो या उसके आकार या स्थान को लेकर आपको चिंता हो, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। आमतौर पर सर्जरी प्रक्रिया के दौरान लिपोमा को हटा सकते हैं, और सर्जरी बाद आप उसी दिन घर जा सकते हैं। लिपोमा को हटाने के बाद ये बहुत कम ही वापस उगते हैं।

FAQs

क्या लिपोमा खतरनाक होता है?

नहीं ज्यादातर मामलों में यह आपको अधिक नुकसान या दर्द पहुंचाने वाले नहीं होते हैं, लेकिन कोई जटिलता पैदा न हो इस कारण से समय रहते इनका उपचार करा लेना चाहिए।

क्या लिपोमा कैंसर में बदल सकता है?

कुछ लिपोमा बहुत कम ही लिपोसारकोमा में बदल सकते हैं, जो फैटी टिश्यू का कैंसर है। लिपोमा के विपरीत, लिपोसारकोमा तेजी से बढ़ता है, यह दर्दनाक हो सकता है, और आपकी उंगली से इसे इधर-उधर नहीं किया जा सकता है।

क्या आप लिपोमा से छुटकारा पा सकते हैं’? 

हाँ लिपोमा से छुटकारा पाया जा सकता है। अगर आप का लिपोमा आप को असहज कर रहा या बढ़ रहा है तो डॉक्टर सर्जरी के जरिये लिपोमा को हटाते है।

लिपोमा का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

लिपोमा के आयुर्वेदिक इलाज लिए त्रिफला, गुग्गुल और हल्दी का उपयोग लाभकारी होता है। त्रिफला शरीर के विषाक्त पदार्थों को निकालता है और पाचन में सुधार करता है। गुग्गुल कोलेस्ट्रॉल और फैट को कम करने में मदद करता है। हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो लिपोमा को घटाने में सहायक होते हैं।
इसके अलावा, अजवाइन और काली मिर्च का सेवन भी उपयोगी होता है।

लिपोमा में क्या नही खाना चाहिए?

लिपोमा में फैटी और तैलीय भोजन, डिब्बाबंद और प्रोसेस्ड फूड, चीनी और मीठे पदार्थ, रेड मीट, डेयरी प्रोडक्ट्स, अल्कोहल और कैफीन नही खाना चाहिए। लिपोमा के मरीजों को संतुलित आहार, ताजे फल, सब्जियां, और पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है और इसका उद्देश्य किसी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। उचित चिकित्सा परामर्श के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श लें।

References

  1. https://orthoinfo.aaos.org/en/diseases–conditions/lipoma
  2. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK507906/
  3. https://www.healthdirect.gov.au/lipoma
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Dr. Shankar Rao

Dr. Rao has achieved great success in his career, with 5 research projects and 4 books to his credit, as well as a Monograph. In addition to receiving the Bharat Scout & Guide Award from the President of India, Dr Rao has also won the Young Scientist Award from S.V. University, Tirupati.

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