समदोषः समाग्निश्च समधातुमलक्रियः।
प्रसन्नात्मेन्द्रियमनाः स्वस्थ इत्यभिधीयते॥
जिस मनुष्य के दोष वात, पित्त और कफ, अग्नि (जठराग्नि), रसादि सात धातु, सम अवस्था में तथा स्थिर रहते हैं, मल मूत्रादि की क्रिया ठीक होती है और शरीर की सब क्रियायें समान और उचित हैं, और जिसके मन इन्द्रिय और आत्मा प्रसन्न रहें वह मनुष्य स्वस्थ है।
सेक्शुअल डिजीज के लक्षण व्यक्ति के सेक्सुअल स्वास्थ्य में समस्या होने पर दिखाई देते हैं। ये लक्षण डिजीज के प्रकार और ग्रेड के आधार पर भिन्न हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य सेक्शुअल डिजीज के आम लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं। जो इस प्रकार हो सकते हैं।
- यौन इच्छा में कमी: यदि किसी को यौन इच्छा में कमी होती है, तो यह एक सेक्शुअल डिजीज का संकेत हो सकता है।
- यौन ताकत की कमी: यौन ताकत में कमी, जैसे कि इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED), पुरुषों में सामान्य सेक्शुअल डिजीज का लक्षण हो सकता है।
- पैरों में दर्द: सेक्शुअल डिजीज के कुछ प्रकार, जैसे कि साइफिलिस, यौन रास्त्रीय द्वारा फैल सकते हैं और पैरों में दर्द या गांठों का कारण बन सकते हैं।
- यौन दर्द: यौन संबंध बनाते समय या उनके बाद यौन दर्द का अनुभव हो सकता है, जो सेक्शुअल डिजीज का संकेत हो सकता है।
- यौन डिसफंक्शन: यौन डिसफंक्शन के लक्षण में इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED), पूर्वकर्णिक डिसफंक्शन, यौन रोग और अन्य सेक्शुअल समस्याएँ शामिल हो सकती हैं।
- यौन संक्रमण: यदि किसी को यौन संक्रमण हो, तो उनके शरीर में जलन, खुजली, पेशाब के साथ दर्द, यौन डिस्कंफट और बहुत सारे अन्य लक्षण हो सकते हैं।
- विचेद: विचेद या यौन समस्या के लक्षण में यौन स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं जैसे कि अण्डकोषों का बढ़ना, स्वेलिंग, दर्द, यौन रास्त्रीय में दर्द, यौन रुधिर का आना और अन्य हो सकते हैं।
यदि आपको सेक्शुअल डिजीज के संदेह है या इसके लक्षण दिखाई दे रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। सेक्शुअल डिजीज के उपचार का सही समय पर शुरू करना महत्वपूर्ण होता है ताकि समस्या बढ़ने से बचा जा सके।
यौन रोगों का आयुर्वेदिक उपचार
यौन रोगों के आयुर्वेदिक उपचार का उद्देश्य शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य को सुधारना है, ताकि रोग का इलाज किया जा सके और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सके। यहां कुछ यौन रोगों के लिए आयुर्वेदिक उपचार के सामान्य प्रकार दिए गए हैं।
- स्वप्नदोष के लिए उपचार
आयुर्वेद में धातु रोग का उपचार शतावरी, अश्वगंधा, शिलाजीत, गोक्षुर, विदारिकंद, और सतावर जैसी जड़ी-बूटियों से किया जा सकता है। स्वस्थ आहार और व्यायाम का पालन करें।
- स्त्री रोग (योनि संक्रमण) के लिए उपचार
यौन संक्रमण के इलाज के लिए नीम, नीम की पत्तियां, मन्जिष्ठ, अर्जुन छाल, और गोक्षुर का उपयोग किया जा सकता है। सुन्दरस, हरिद्रा, और यष्टिमधू जैसी जड़ी-बूटियों का भी उपयोग कर सकते हैं।
- शीघ्रपतन (प्रीमेचर इजेक्युलेशन) के लिए उपचार
आयुर्वेद में शीघ्रपतन का इलाज केसर, शतावरी, अश्वगंधा, वंदरूक, और मूसली पाक के साथ किया जा सकता है।किगल व्यायाम और प्राणायाम का अभ्यास करें।
- यौन डिसफंक्शन (इरेक्टाइल डिसफंक्शन) के लिए उपचार
आयुर्वेद में इरेक्टाइल डिसफंक्शन के उपचार के लिए अश्वगंधा, कौच बीज, शिलाजीत, सतावरी, और कपिकच्छू का उपयोग किया जा सकता है।नियमित व्यायाम और योग का पालन करें।
आहार अनुशंसाएं (आहार)
- इस दौरान पौष्टिक भोजन के सेवन की सलाह दी जाती है. अंडे, मुर्गी पालन, ताजे फल, मेवे, अनाज और सब्जियां खानी चाहिए।
- हल्का और पौष्टिक आहार लें
- मीठे और खट्टे खाद्य पदार्थों को शामिल करें
- अपच, अधिक नमक, शराब और कसैले पदार्थों से बचना चाहिए।
- जीवनशैली में बदलाव (विहार)
- एक व्यवस्थित दैनिक जीवन शैली (दिनचर्या) का पालन करना चाहिए। इसमें उचित नींद और जागने का पैटर्न, नींद की अच्छी गुणवत्ता और समय, यौन गतिविधियाँ, व्यायाम आदि शामिल हैं।
- पर्याप्त आराम करें
- गरम पानी पियें
- रात को बहुत देर तक न सोयें
- तनाव, अत्यधिक व्यायाम, असुरक्षित और अत्यधिक यौन संबंध, और आग्रहों का दमन (वेगाविधारण) से बचना चाहिए।
FAQs
क्या सेक्शुअल डिजीज से कोई बड़ी बीमारी हो सकती है?
हां, सेक्शुअल डिजीज से सिफिलिस, हिपाटाइटिस बी और सी,जननांग संक्रमण,HIV होने का खतरा हो सकता है।
एसटीडी की जांच कैसे की जाती है?
अधिकांश ब्लड और यूरिन टेस्ट एचआईवी, गोनोरिया, क्लैमाइडिया और सिफलिस सहित बैक्टीरिया या वायरल इन्फेक्शन की जांच करते हैं। ये रेगुलर टेस्ट हैं जिन्हें आप कुछ ही मिनटों में कर सकते हैं। आपको आगे के टेस्ट के लिए ब्लड या यूरिन का सैंपल देना होगा।
एसटीआई लक्षण के 3 प्रकार क्या हैं?
पेशाब करते समय दर्द होना, जननांगों या निचले हिस्से के आसपास गांठें या त्वचा का बढ़ना या दाने होना असामान्य योनि से रक्तस्राव होना।
एसटीडी के लक्षण कब दिखाई देते हैं?
लक्षण कुछ दिनों या हफ्तों के भीतर विकसित हो सकते हैं, लेकिन कभी-कभी वे महीनों या वर्षों बाद भी प्रकट नहीं होते हैं।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है और इसका उद्देश्य किसी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है। उचित चिकित्सा परामर्श के लिए कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श लें।