वैवाहिक जीवन में बंधने के बाद बच्चे की चाहत रखने वाले कपल्स के मन में गर्भधारण को लेकर कई तरह के सवाल आते हैं। मसलन, कितनी बार शारीरिक संबंध (सेक्स) बनाएं। किस प्रकार से संबंध बनाना ठीक रहेगा। रोज सेक्स करें या फिर गैप देकर और माहवारी के बाद दिनों की गिनती कैसे की जाए।
वैसे तो नवविवाहित जोड़ों के लिए इसकी (सेक्स) कोई सीमा नहीं होती, वह कभी भी एक दूसरे के आगोश में समा सकते हैं। पर, समय गुजरने और कपल्स की सामाजिक व पारिवारिक जिम्मेदारियों से सेक्स की संख्या धीरे-धीरे कम होने लगती है। साइंस कहता है कि किसी भी महिला के प्रेग्नेंट होने के लिए पुरुष के स्वस्थ स्पर्म (शुक्राणु) का महिला के अंडे से मिलाप जरूरी है। यही प्रक्रिया एक महिला को मां बनाती है।(4)
तीन घंटे बाद बन जाता है नया स्पर्म (sperm)
अलग-अलग कालखंड में की गई रिसर्च और स्टडी कहती है कि एक स्वस्थ कपल्स उन खास दिनों में रोजाना (एक या दो बार) या फिर एक दिन के अंतराल पर सेक्स कर संतान सुख की प्राप्ति कर सकते हैं। जर्नल मोलिक्युलर एंड सर्कुलर प्रोटियोमिक्स की रिसर्च कहती है कि स्वस्थ पुरुष के एक बार सेक्स करने के महज तीन घंटे बाद (180 मिनट) ही नया स्पर्म तैयार हो सकता है। जो पहले स्पर्म के मुकाबले ज्यादा ताकतवर होता है। इससे प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है।
एक दिन का अंतराल रखना सबसे बेस्ट
इस अध्ययन के लिए 500 कपल्स पर टेस्ट किया गया। आईवीएफ के लिए खुद को तैयार कर रहे इन पुरुषों को पहले वीर्यपात (स्खलन) के बाद अलग-अलग समय पर स्पर्म (शुक्राणु) का नमूना लिया गया और दोबारा लिया गया स्पर्म जब महिला के गर्भ में इंप्लांट किया गया तो उन महिलाओं के गर्भवती होने की संभावना बढ़ गई। इसलिए कपल्स को सलाह दी जाती है कि वह एक बार सेक्स करने के बाद एक दिन का वेट करें।
निश्चित अंतराल पर सेक्स से बढ़ती है संभावना
साल 2020 में आई एक रिपोर्ट कहती है कि गर्भधारण की सफलता शारीरिक संबंध बनाने की दर पर भी निर्भर करती है। बहुत कम या बहुत अधिक सेक्स करने के स्थान पर निश्चित अंतराल पर किया जाने वाला सेक्स, प्रेग्नेंसी के चांसेज को बढ़ा सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अधिक सेक्स करने से स्पर्म की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। इसलिए दो दिन में एक बार सेक्स करने वाली महिला के प्रेग्नेंट होने की संभावना ज्यादा होती है।
काफी महत्वपूर्ण है ओवुलेशन (ovulation) का सप्ताह
गर्भधारण के लिए ओवुलेशन (अंडाशय के द्वारा फेलोपियन ट्यूब में अंडा छोड़ने की प्रक्रिया) से पांच दिन पहले का समय सही माना जाता है। (2) सेक्स एक्सपर्ट की मानें तो गर्भवती होने के लिए महिला के लिए वह सप्ताह काफी महत्वपूर्ण होता है जब वह ओवुलेशन पीरिएड में रहती है। ओवुलेशन एक ऐसी शारीरिक प्रक्रिया है, जिसमें महिला के अंडाशय से मेच्योर एग रिलीज होता है। एग रिलीज होने के बाद यह फेलोपियन ट्यूब से नीचे चला जाता है, जहां यह 12-24 घंटे तक जीवित (सुरक्षित) रहता है। इस दौरान पुरुष का स्पर्ण इस एग से मिलता तो महिला गर्भधारण कर लेती है।(5)
प्रत्येक दूसरे दिन सेक्स करना फायदेमंद
ओवुलेशन पीरिएड को पीरिएड सर्कल (मासिक चक्र) का फर्टाइल विंडो कहा जाता है। (3) यदि इसे समझने में दिक्कत आए तो पीरिएड खत्म होने के बाद सप्ताह में प्रत्येक दूसरे दिन (एक दिन के अंतराल पर) सेक्स करने से गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक रहती है। उल्लेखनीय है कि महिलाओं में स्वास्थ्य व उम्र के अनुसार ओवुलेशन पीरिएड अलग-अलग हो सकता है।
दोबारा निकले स्पर्म ज्यादा गतिशील
इससे इतर, एक अन्य रिसर्च की बात करें तो जल्द गर्भधारण के लिए एक दिन में दो बार सेक्स करना फायदे में रहता है। ऐसा करने से महिला के प्रेग्नेंट होने की संभावना ज्यादा रहती है। रिसर्च के मुताबिक शादीशुदा जोड़ों के द्वारा एक ही रात में दो बार सेक्स करने से महिला के एग को अधिक मात्रा में स्पर्म उपलब्ध हो जाता है। कुछ घंटे के अंतराल पर किए जाने वाले सेक्स से निकले स्पर्म पहले के मुकाबले ज्यादा गतिशील होते हैं। लगातार किए जाने वाले सेक्स के बीच कम से कम तीन घंटे का अंतर होता है।
पांच-छह दिन सुरक्षित रहते हैं शुक्राणु (sperm)
1999 में आई एक अन्य रिपोर्ट (1) कहती है कि ओवुलेशन के दो दिन पहले और ओवुलेशन के दिन तक सेक्स करने से गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक रहती है। उल्लेखनीय है कि अंडाशय से रिलीज होने के बाद महिला का एग जहां 12-24 घंटे तक सुरक्षित रहता है वहीं पुरुष का स्पर्म (शुक्राणु) महिला के गर्भ में पांच-छह दिन तक सुरक्षित रहते हैं।
ओवुलेशन का भी रखें ध्यान (2)
- मासिक चक्र के दिनों को गिनना ओवुलेशन पर नजर रखने का सबसे बेहतर तरीका है।
- यदि मासिक चक्र 28 दिन का है तो इसके मध्य बिंदु अर्थात 14वें दिन के आसपास ओवुलेशन होगा।
- हालांकि सभी महिलाएं मध्य बिंदु पर ही ओवुलेशन नहीं करती हैं। यह सभी में अलग-अलग तिथियों पर होता है।
- ओवुलेशन के दौरान योनि भी इसका संकेत देती है। योनि का स्राव गाढ़ा और सफेद हो जाता है।
- ओवुलेशन के दौरान महिला के शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ जाता है। थर्मामीटर से इसे जांचा जा सकता है।
- साइंस के इस एज में ओवुलेशन जानने के लिए ओवुलेशन किट का प्रयोग किया जा सकता है।
- यह किट महिला के पेशाब (मूत्र) में हार्मोन परिवर्तन की जांच करती है। इससे ओवुलेशन की सही जानकारी पाई जा सकती है।
कैसी हो सेक्स की पोजीशन (sex position)
- गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने वाली कौन सी सेक्स पोजीशन सबसे बढ़िया और कारगर है, इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है।
- सेक्स के उपरांत जब पुरुष अपना वीर्य़ महिला की योनि में छोड़ता है तो उस समय करोड़ों की संख्या में शुक्राणु होते हैं।
- यह शुक्राणु तैरते हुए महिला के एग की तरफ बढ़ते हैं। ऐसे में कोई ऐसी पोजीशन न बनाएं, जिससे स्पर्म अंदर जाने के स्थान पर बाहर आ जाए।
- खड़े होकर सेक्स करने में गुरुत्वाकर्षण बल इसके खिलाफ काम करता है। ऐसे में स्टैंडिंग पोजीशन में सेक्स करने से गर्भधारण की संभावना कुछ कम जरूर हो सकती है।
- मिशनरी और डागी स्टाइल में सेक्स सबसे बेहतर समझ में आता है। इस अवस्था में पुरुष का लिंग योनि में काफी गहराई तक प्रवेश करता है।
- मिशनरी और डाकी स्टाइल में सेक्स के दौरान जब स्खलन होता है तो शुक्राणु जल्द ही गर्भाशय तक पहुंच जाते हैं। शुक्राणु काफी अच्छे तैराक होते हैं और 15 मिनट में ही यह अपना सफर पूरा कर लेते हैं।
FAQs
अधिक सेक्स से स्पर्ण की गुणवत्ता और मात्रा कम होती है?(6)
स्वस्थ जोड़ों के द्वारा एक-दो दिन के अंतराल पर सेक्स करने से शुक्राणु की गुणवत्ता बेहतर होती है। इसलिए सहज होकर पार्टनर की इच्छा को ध्यान में रखते हुए सेक्स करें। अधिक बार सेक्स करें, लेकिन इसे लेकर तनाव न पालें।
सेक्स के दौरान तेल या चिकनाई वाले पदार्थ का इस्तेमाल कैसे करें?
संतान की चाहत रखने वाले जोड़ों को चिकनाई वाले पदार्थों का इस्तेमाल उनकी जरूरत पर निर्भऱ करता है। आमतौर पर महिला स्वतः चिकनाई छोड़ती है, लिहाजा जरूरत होने पर ही इसका प्रयोग करें। कुछ रिसर्च के मुताबिक जल आधारित चिकनाई के प्रयोग से शुक्राणुओं की गति प्रभावित होती है।
गर्भधारण के लिए महिला की संतुष्टि (आर्गाज्म) कितनी जरूरी?
गर्भधारण के लिए महिला के द्वारा स्खलन करना या आर्गाज्म की आवश्यकता नहीं होती। प्रेग्नेंसी के लिए मेल पार्टनर का अपनी महिला साथी के योनि में वीर्य स्खलन जरूरी होता है। हालांकि आर्गाज्म के दौरान महिला के जननांग में अंदर तक कंपन्न होता है, जो शुक्राणु को फेलोपियन ट्यूब के रास्ते एग तक पहुंचाने में हेल्प करता है।
References:
- Day-specific probabilities of clinical pregnancy based on two studies with imperfect measures of ovulation – PubMed (nih.gov)
- https://healthcare.utah.edu/fertility/patient-education/ovulation
- https://lomalindafertility.com/pregnancy/how-to-get-pregnant/
- https://www.betterhealth.vic.gov.au/health/healthyliving/Conceiving-a-baby
- https://www.acog.org/womens-health/experts-and-stories/the-latest/trying-to-get-pregnant-heres-when-to-have-sex#:~:text=You%20don’t%20need%20to%20have%20sex%20every%20single%20day.&text=So%20you%20can%20have%20sex,during%20this%206%2Dday%20window.
- https://www.nidirect.gov.uk/articles/advice-conceiving-and-preparing-pregnancy