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बच्चेदानी में गांठ (lump in uterus) के घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज

बच्चेदानी में गांठ lump in uterus के घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज 1 15
बच्चेदानी में गांठ lump in uterus के घरेलू और आयुर्वेदिक इलाज 2 16

इस लेख में हम बच्चेदानी में बनने वाली गांठ के आयुर्वेदिक व घरेलू उपायों पर बात करेंगे। यदि योनि से सफेद, बदबूदार डिस्चार्ज हो रहा हो या फिर अचानक से ब्लीडिंग शुरू हो जाए तो यह बच्चेदानी में रसौली अर्थात गांठ का लक्षण हो सकता है। पैरों में सूजन, दर्द, कमजोरी, पेट-पीठ या नाभि के निचले हिस्से (पेड़ू) में दर्द में भी इसका लक्षण हो सकता है। मासिक चक्र के समय अत्यधिक रक्तस्राव, बार-बार पेशाब की शिकायत, यौन संबंध बनाते समय दर्द, अनियमित माहवारी और एनीमिया भी इसके लक्षणों में आता है।

आयुर्वेदाचार्यों के द्वारा जो घरेलू उपाय (4) सुझाए जाते हैं उसमें आंवला, हल्दी, कचनार गुग्गुल, अरंड, निर्गुंडी, गिलोय, अरंडी, सेब इत्यादि प्रमुख है। घरेलू विधि से उपचार के विशेषज्ञ कहते हैं कि गर्भाशय में कई प्रकार की ग्रंथियां होती हैं। गांठ के इलाज में गांठ का प्रकार और उसका स्तर देखा जाता है। प्रमुख रूप से कफ और वात दोष के आधार पर इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाती है(1)। यदि गांठ से किसी प्रकार की कोई तकलीफ न हो, लक्षण न दिखते हों, महिला सामान्य जीवन जी रही हो तो सामान्यतः किसी भी प्रकार के इलाज की जरूरत नहीं रहती।

  1. पाचन (Digestion) दुरुस्त रखना पहली समझदारी

आयुर्वेदाचार्यों के द्वारा गर्भाशय की गांठ के लिए जो इलाज सुझाए जाते हैं, उनमें सबसे पहला और प्राथमिक उपचार अपना पाचन ठीक रखना है। आयुर्वेद के साथ-साथ एलोपैथ के डाक्टरों का मानना है कि सबसे पहला उपचार पाचन क्रिया को दुरुस्त रखना है ताकि शरीर के अंदर विद्यमान गंदगी को आसानी से परिस्कृत किया जा सके। इसके लिए आसानी से पचने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करें। रात का भोजन हल्का करें। हल्के व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।

  1. हल्दी (tumeric) और आंवले (Indian gooseberry) का सेवन कारगर

आंवला और हल्दी के प्रयोग से गर्भाशय की गांठ से निजात पाई जा सकती है। आंवला एंटी फाइब्रायोटिक गुण से युक्त होता है। इसमें मौजूद मोनोसोडियम ग्लूटामेट और एंटी आक्सीडेंट भी गर्भाशय की गांठ में फायदेमंद है। आयुर्वेदाचार्यों के द्वारा यूटेरस फाइब्रॉइड के घरेलू इलाज में हल्दी की सलाह दी जाती है। हल्दी में मौजूद एंटीप्रोलिफेरेटिव व एंटीफिब्रोटिक प्रभाव रसौली (गांठ) को खत्म करने में सहायक होता है।

  1. रसौली (fibroids) से निजात दिलाए गिलोय (Giloy), निर्गुंडी (Nirgundi) 

गिलोय का नाम तो सभी ने सुना होगा और यह गांवों में प्रत्येक घरों के आसपास पाई जाती है। इसका काढ़ा भी गर्भाशय की गांठ से निजात दिलाने में सहायक होता है। निर्गुंडी के दो से पांच तोला काढ़े में आधा तोला (पांच एमएल) अरंडी का तेल मिलाकर पीने से लाभ होता है। इसी प्रकार 2 से 5 ग्राम कचनार (1) और रोहतक का दिन में दो-तीन बार सेवन करने व वाह्य लेप से गांठ पिघल जाती है। 

  1. अरंडी (Castor), अरंड और हरड़ (myrobalan) का प्रयोग

अरंडी के बीज और हरड़ समान मात्रा में पीसकर बांधने से आराम मिलता है। यदि गांठ नई है तो वह बैठ जाएगी और पुरानी है तो पककर ठीक हो जाएगी। गेहूं के आटे में पापड़खार मिलाकर पुल्टिस बना लें। इसे लगाने से गांठ फूट जाती है। इस तरह का इलाज अक्सर गांव-गिरांव में वाह्य फोड़े को पकाकर फोड़ने के लिए भी किया जाता है। अरंड के तेल या अरंड के पत्तों का काढ़ा इसमें लाभदायक होता है। 

  1. गरम पानी (Warm water) के साथ लें सेब (Apple) का सिरका

सेब का सिरका भी गर्भाशय की गांठ की समस्या से निजात दिलाने में सहायक होता है। सेब के सिरके का सेवन सुबह-शाम गरम पानी के साथ करने से काफी आराम मिलता है। कुछ आयुर्वेदाचार्यों के द्वारा सुबह खाली पेट आधा कप ताजा गौमूत्र के सेवन की सलाह दी जाती है। अरंड के पत्तों को गर्म करके इसी का तेल लगाकर बांधने से आराम मिलता है। सभी प्रकार का इलाज जांच और आयुर्वेदाचार्यों के परामर्श पर करना चाहिए।

6.बच्चेदानी में गांठ के सामान्य लक्षण, कारण(2)

  • कई अध्ययनों और शोधकर्ताओं ने गर्भाशय के गांठ के कारणों पर रिसर्च की। 
  • जेनेटिक बदलाव, हार्मोन में बदलाव, मोटापा, असंतुलित भोजन, बढ़ती उम्र इसका कारण हो सकती है।
  • अंडाशय में इस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन गर्भाशय में एक परत बनते हैं, जिससे माहवारी होती है।
  • कभी-कभी यह हार्मोन ही इन परत के बनने के दौरान फाइब्रॉइड (रसौली या गांठ) बनने की वजह भी बनते हैं।
  • माहवारी के दिनों या फिर अचानक से अत्यधिक रक्तस्राव
  • नाभि के नीचे, पेट या पीठ में तेज दर्द, बार-बार पेशाब का आना
  • मासिक के समय और यौन संबंध के दौरान असहनीय पीड़ा
  • माहवारी का अनियमित रहना, नाभि के नीचे (पेड़ू) में भारीपन
  • पेट में सूजन की समस्या, पैरों में दर्द और एनीमिया की शिकायत
  • मूत्राशय खाली करने में कठिनाई का सामना करना, पैल्विक दर्द

FAQs

गर्भाशय़ में गांठ होने का पता कैसे चलता है?

इस लेख में दिए गए लक्षण दिखें तो इसकी जांच कराएं। जांच में यदि गर्भाशय में गांठ (फाइब्रॉइड) का शक हो तो सोनोग्राफी कराने स्थिति पूरी तरह से साफ हो सकती है। सोनोग्राफी में गांठ की सही स्थिति, संख्या, आकार का पता लगता है और उसी के अनुसार उपचार किया जाता है।

गांठ होने पर सर्जरी की स्थिति कब बनती है?

गर्भाशय में गांठ की पुष्टि होने पर उसकी संख्या, आकार और शारीरिक स्थिति के अनुसार तय किया जाता है। यदि दवा व सामान्य आपरेशन से इलाज संभव नहीं होता तो अंतिम विकल्प के रूप में गर्भाशय (ओवरी) को भी निकालना पड़ता है। यह मरीज की स्थिति और आवश्यकता पर निर्भर करता है।

गर्भाशय की गांठ में आयुर्वेदिक दवाएं कितनी कारगर?

यदि गर्भाशय में गांठ होने की जानकारी प्रारंभिक अवस्था में होजाए तो इसका इलाज आयुर्वेदिक पद्धति और घरेलू उपचार से किया जा सकता है। होम्योपैथी भी इस अवस्था में कारगर होती है। हालांकि गांठ का आकार और तकलीफ बढ़ जाने पर सर्जरी अपरिहार्य हो जाती है।

References:  

  1. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4649577/#:~:text=Medical%20management%20of%20this%20problem,fibroid%20in%20this%20case%20series
  2. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4649577/#ref1
  3. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4649577/#ref2
  4. https://www.hindawi.com/journals/ecam/2021/4325502/
Dr. Jyoti Lakhani Avatar

Dr. Jyoti Lakhani

Dr. Jyoti has 15 years of experience in Clinical Practice, Research & Education in the field of Ayurveda with competency in acute & chronic conditions like Arthritis, Spondylitis, Osteoporosis, Sciatica etc. She has also expertise in treating Female Infertility disorders, other Gynecological Problems & General disorders.

1 Comments

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